Friday, August 20, 2010

एक बार एक पिता पुत्र.........

एक बार एक पिता पुत्र अनेक व्याक्तियो के साथ तीर्थ यात्रा पार जा रहे थे | रात्री का समय था, आधी रात ढल चुकी थी, लेकीन उजाला नही हुआ था | चारो ओर एक निराली शांती थी | पिता का चित निर्मल ही | वे प्रार्थना कि तैयारी करने लगे | उनके मन मैं आया कि क्यो नही वे अपने पुत्र को भी जगा ले जिससे वह भी इस शान्त घडी मैं प्रार्थना कर सके | यह सोच कर उन्होने अपने बेटे को जगाया | बेटा युवा अवस्था मैं था | रात्री मैं उठने मैं उसे काठीनाई हुई फिर भी, पिता जी को जगते देखकर वह भी उठ बैठा | बेटे ने देखा कि सभी गहरी नींद मैं सो रहे है | पिता ने बेटे से कहा - आओ, प्रार्थना करे | कितना अच्छा सुहावना ओर उपयुक्त समय है |
बेटा चंचल चित्त का था | पिता के भावो कि गहराई को नही समज सका ओर कहने लगा - पिता जी ये सभी जो सो रहे है, कितने "पापी" है ? इन्हे भी प्रभू प्रार्थना कारणी चाहिये | पिता का मन उदासी से भर गया | उन्होने कहा बेटे, इस अद्वितीय क्षण मै भी तेरा मन परनिंदा मै लगा है तो जा तू भी सो जा | परनिंदा करणे कि अपेक्षा तो तेरा सो जाना ही उपयुक्त है |
जी हां, जो पार निन्दा में भागीदार होते हैं, जिनको परनिंदा मी मजा आता हैं वे लोग आनंद कि अनुभूती कर नही सकते | यही मजा मजबुरी मी बदलता हैं तो मन मसोसना पडता हैं | जो परनिंदा में लगे हैं हमारे विचारो में वे आईना देख रहे हैं | जी हां, दर्पण कभी झूठ नही बोलता हैं वह तो देखने वाले कि तस्वीर ही दिखाता हैं |
हम हम यदि परनिंदा बजाय दुसरो कि अच्छाई एवं उनके सदगुणो का बखान करना शुरू कर दे तो मजे के बजाय आनंद कि प्राप्ती होगी | जी हां, आनंद कभी समाप्त नही होता वह आनंद मिलेगा यदि हम अपने चश्मों का रंग बदलकर अच्छे कार्यो कि सराहना का स्वभाव बना दें | निन्दा कि आदत को गुणो का बखान कि आदत में बदल दें तो हम मानवता कि ओर उठेंगे | जिस प्रकार अपने स्वभाव से पानी उपर से नीचे को ओर जाता हैं, ठीक यदि हमें उपर उठना हैं तो पर निन्दा परित्योग कर अन्यो की अच्छाइयो का अनुसरण करना होगा |
आईये सेवा की मोटार हमारे मन मस्तिष्क पर लगादें , औश्र जहां भी सेवा एवं परोपकार के कार्य हो उनका अनुमोदन करे, महापुरुषो के चरित्र की चर्चा करे ओर भगवत कार्यो में हमारा मन लगावे | जहां भी प्रभू कार्य हो करने से न चुके, जो करना चाहे उन्हे प्रेरित कर करावे एवं जहां ऐसे कार्य हो रहे हो उनका उत्साह वर्धन करे, फिर देखिये आनंद आपको छोडेगा नही |

आपका आपना,

कैलाश 'मानव'

3 comments:

  1. इस नए और सुंदर से हिंदी चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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