यह थके हुओं के लिये आराम है , निराश लोगो के लिये रोशनी, उदास के लिये सुनहरी धूप, और हर मुश्कील के लिये कुदरत की सबसे अच्छी दवा | तब भी न तो भीख में , न खरीदने से न उधार मांगने से और चुराने से मिलती है , क्योंकी यह एक ऐसी चीज है जो जब तक किसी काम की नही, जब तक आप इसे किसी को दे न दें |
दिन-भर की भाग- दौड में कुछ परिचित हो सकते है कि इतने थके हों कि मुस्करा न सके | तो उन्हे अपनी हि मुस्कान दीजिए |
किसी को मुस्कान की उतनी जरुरत नही होती जितनी कि उसे , जो खुद किसी को अपनी मुस्कान न दे सके |
आपका आपना,
कैलाश 'मानव'
कैलाश 'मानव'
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