प्राणीयों कि हिंसा किये बिना
मांस उपलब्ध नहीं हो सकता, और
प्राणी का वध करना सुखदाय नहीं अतः मांस त्याज्य है |
जिस व्यक्ति के दिल में प्राणीयों के प्रति प्रेम नहीं वह
परमात्मा का प्रेम नहीं प सकता |
उत्कृष्ट, मानवीय एवं रोगमुक्त आहार-शाकाहार
प्रसन्नता तो चंदन है दुसरे के माथे पर लगाइये,
आपकी अंगुलियां अपने आप महक उठेगी |
हमने जन प्राणीयों को काटा है मारा है,
खाया है या बलि दी है, उन सबकी बददुआओं से एक
दिन हम पर संकट का पहाड टूट पडेगा | यह एक अटल
सत्य है | अगर कामना लेकर परमात्मा के पास जाओगे तो
परमात्मा संसार है
और कामनाओं से मुक्त होकर संसार के पास जाओगे तो
संसार भी परमात्मा है |
विचार करें - जिन वस्तूओं को हम अपनी मानने है, वे
सदा हमारे साथ रहेगी क्या ?
रंगी को नारंगी कहे, अमूल्य माल को खोया |
चलते को गाडी कहे, देख कबीरा रोया ||
एक बार शरणागत होकर, जो कहता प्रभू ! मैं तेरा |
कर देता मैं अभय उसे, सब भूतों से यह व्रत मेरा ||
पर नारी छानी छुटी, पांच ढोर सुं खाय |
तन छीजे जोबन हरे, पंत पंचों में जाय |
जीवत खावे कालजो, मरयां नरक ले जाय |