![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiffyq2AJqV1PKpguFbQHiiMvM1cRgM89vgVp3SfJH9Ap5aYi5Ngx2Fa4bxj1ds33L2RICVvohaZ9q9pIZQkjTReOU8SHGpLeOMa7VVW3KNof0KFwOylKpUZCOHpSaAgBC42MvJ7VlwHlQ/s400/charity1.jpg)
सेवा का उद्दश्य क्या है? दीन - दरिद्र पीड़ित मानव समाज व देश की सेवा किसलिए? सेवा के द्वारा तुम्हारा ह्रदय शुद्ध होता है, अहम् भाव, घ्राणा, उच्चता की भावना एवं बुरी भावनाओ का नाश होता है तथा नम्रता, शुद्दता, प्रेम, सहानभूति तथा दया जैसे गुणों का विकास होता है| सेवा से स्वार्थ भावना मिटती है - द्वैत भावना कम होती है| जीवन के प्रति दृष्टीकोण विशाल एवं उदार होता है, एकता का भाव होता है परिणाम स्वरुप आत्मा का ज्ञान होने लगता है, एक में सब और सब में एक की अनुभूति होने लगती है - तभी असीम सुख प्राप्त होता है |
- स्वामी विवेकानंद
!! राधे-राधे !!
ReplyDeleteआपका आभार! अति प्रसन्नता हुई इस पृष्ठ को पढकर और देखकर!
इससे मेरे समाज सेवी एन.जी.ओ. को एक मुख्य विन्दु प्राप्त हो चुका है!
आपका कृष्णमय धन्यबाद !