कर्म विज्ञानं के अनुसार कार्य यदि पवित्र भाव से न किया गया तो उसमे सरसता नहीं आती | सरसता हेतु प्रतेयेक कार्य पवित्र भाव से करना अनिवार्य है |
जिसके ह्रदय में यह निष्ठां द्रद्द हो गयी की 'मेरा जीवन मुझ आकेले का नहीं है बल्कि सबके लिए है" तो समझना मानवता जाग उठी, इस मानवता का जिस समाज पद्दति से विकास हो उस समाज रचना की हमें जरूरत है| महा प्रयत्न में भी हमें वह निर्मित करनी चाहिए |
आपका आपना
कैलाश 'मानव'
No comments:
Post a Comment